Technical Analysis in Hindi/ टेक्निकल अनैलिसिस हिन्दी ?
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टेक्निकल अनैलिसिस क्या होता है ?
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टेक्निकल अनैलिसिस कैसे काम करता है ?
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टेक्निकल अनैलिसिस को कैसे समझे ?
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टेक्निकल अनैलिसिस कैसे करे ?
टेक्निकल अनैलिसिस क्या होता है ? What is Technical Analysis
Technical Analysis :- किसी भी शेयर को जब हम एक निशचित समय के लिए लेते है और हमे यह जानना होता है, की वह शेयर किस दिशा मे जाएगी या नहीं जाएगी तो हमे यह पता करने के लिए टेक्निकल अनैलिसिस का सहारा लेना पड़ता है।
नये लोग जो शेयर मार्केट मे रुचि लेते है उन्हे टेक्निकल अनैलिसिस को अछे से समझना और सीखना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करते है तो आप के द्वारा शेयर मार्केट मे किए गए निवेश पे मिलने वाले फायदे के बजाए नुकसान हो सकता है। बिना टेक्निकल अनैलिसिस के आप को काभी भी शेयर ना तो खरीदना चाहिए और ना ही उसे बेचान चाहिए।
टेक्निकल अनैलिसिस एक तरह का मार्केट रिसर्च है। जिसमे आप को शेयर प्राइस के चार्ट पैटर्न , शेयर प्राइस का ग्राफ, और उसके इतिहास के डेटा को को देख कर उसका उपयोग किया जाता है।
टेक्निकल अनैलिसिस किसे कहते है ? What is Technical Analysis
टेक्निकल अनैलिसिस : किसी भी शेयर या इंडेक्स को उसके इतिहास के डेटा को चार्ट की मदद से अनैलिसिस करने को हम टेक्निकल अनैलिसिस कहते है। इसकी मदद से हम पता लगा सकते है की मार्केट किस दिशा मे आगे बढ़ेगा, आसान भाषा मे बताऊ तो मार्केट के चार्ट को देखने की प्रक्रिया को ही टेक्निकल अनैलिसिस कहा जाता है।
हम आप को बात दे की शेयर मार्केट मे दो तरह के अनैलिसिस किए जाते है जो की कुछ इस प्रकार के होते है।
1. Fundamental Analysis (फंडामेंटल अनैलिसिस ) :- फंडामेंटल अनैलिसिस तब किया होता है जब हम किसी भी शेयर मे लंबे समय के लिए निवेश करना होता है। मान के चलिए यदि किसी को पाँच से दस साल के लिए अपने पैसों को निवेश कर के उस निवेश किए हुवे पैसे पर अच्छा-खासा व्याज कमान है तो वह फंडामेंटल अनैलिसिस कर के अपने किए हुवे निवेश पर अच्छा मुनाफा कमा सकता है।
2. Technical Analysis (टेक्निकल अनैलिसिस) :- बात करे टेक्निकल अनैलिसिस की तो इसका इस्तेमा आप किसी भी समय अवधि मे कर सकते है। यदि आप एक दिन या एक मिनट या फिर एक साल के लिए मार्केट मे निवेश करते है तो आप आप टेक्निकल अनैलिसिस की मदद से यह पता लगा सकते है की आप के द्वारा चुने गए शेयर कब आप को अच्छा मुनाफा दे सकते है।
ज्यादा तर निवेशक टेक्निकल अनैलिसिस का प्रयोग तभी करते है जब उनको काम समय मे किसी शेयर से ज्यादा मुनाफा कमाना होता है। इस प्रकार के निवेश को हम ट्रेडिंग कहते है। ट्रेडिंग अधिकतर कम समय मे ज्यादा कमाने के लिए किया जाता है।
टेक्निकल अनैलिसिस को कैसे समझे ? How to Understand Technical Analysis ?
टेक्निकल अनैलिसिस को कैसे समझे : टेक्निकल अनैलिसिस को समझने के लिए सबसे पहले आप को यह जानना होगा की शेयर प्राइस या इंडेक्स प्राइस किस तरीके से चार्ट पर ग्राफ बनाते है ? उस ग्राफ की मदद से हमे यह पता करना होता है की हमे वह शेयर प्राइस या फिर वह इंडेक्स प्राइस हमे कब खरीदने चाहिए और कब नहीं खरीदने चाहिए।
टेक्निकल अनैलिसिस को समझने केलिए आप को इसके बेसिक्स को जानना बेहद जरूरी है। की मार्केट मे प्राइस , कैंडील , और मार्केट का टाइम कैसे काम करता है। जैसे जैसे आप इसके बेसिक्स को जानने लगेंगे तो आप को यह समझ मे आने लगेगा कि मार्केट मे टेक्निकल अनैलिसिस कैसे काम करता है।
देखा जाए तो टेक्निकल अनैलिसिस को समझने के लिए आप को इसके तीन भाग को समझना होगा और वो है > प्राइस , टाइम, कैंडील
Price ( प्राइस ) :-
जब कोई शेयर यार इंडेक्स मार्केट मे ट्रेड होते है यानी की उस शेयर मे जिस जिस तरह से डिमांड और सप्लाई आती रहती है, तो वैसे वैसे उसकी प्राइस भी तेजी सी बदलती जाती है। जब मार्केट मे डिमांड आती है तो उस शेयर या फिर इंडेक्स की प्राइस बढ़ जाती है और जब मार्केट मे सप्लाई आती है तो उस शेयर या इंडेक्स की प्राइस घट जाती है।यदि आप को चार्ट मे प्राइस को देखना हो तो आप कैसे देखेंगे ? उसके लिए आप को उस हॉरिजॉन्टल लाइन को देखना होगा जो की लगातार ऊपर और नीचे की ओर मूव कर रही हो और उस हॉरिजॉन्टल लाइन से कैंडील भी बन रही है। हाल की वह हॉरिजॉन्टल लाइन बेहद बरीखोंटी है जिसे आसानी से देखा जा सकता है।
Time (समय ) :–
शेयर प्राइस समय समय पर अपने अलग अलग ट्रेंड मे होता है। चार्ट के निचले हिस्से पे टाइम को बताया गया है, की वह शेयर प्राइस कब उप ट्रेंड मे था या फिर वह शेयर प्राइस डाउन ट्रेंड मे था या फिर कब वह वॉलेटाइल था।
किसी भी शेयर मार्केट के चार्ट पे अलग-अलग टाइम फ्रेम दिए होते है , ताकि हम यह पता कर सके की किस टाइम फ्रेम मे मार्केट का ट्रेंड क्या होने वाला है, और मार्केट किस दिशा मे जाएगा।
हाल की जीतने भी ट्रेडर होते है वह सब मार्केट मे ट्रेड लेने के लिए अलग अलग टाइम फरेक का इस्तेमाल करते है। देखा जाए तो ट्रेडर अपने तरीके खुद बनाते है, उन्हे ये पता होता है की उनके लिए कौन सा टाइम फ्रेम सबसे ज्यादा प्रॉफ़िट बनाके देगा।
Candle (कैन्डल ) :-
टेक्निकल अनैलिसिस को अछे से समझने के लिए आप को चार्ट मे बनाने वाले कैंडीलस को भी समझना बेहद जरूरी है। ट्रैडिंग हो या लंबे समय के लिए निवेश, इन सभी मे चार्ट पे बनाने वाले कैंडील को देखना पड़ता है। की कोन से कैंडील चार्ट पर बन रहे है, अलग-अलग कैंडीलस से हमे यह पता लगता है की मार्केट या वह शेयर किस दिशा मे जानेवाला है?
किसी भी शेयर प्राइस चार्ट मे आप को कैंडीलस आसानी से मिल जाएगा। हम आप को बात दे की यह लाल और हरे की रंगों मे होता है। जिसके बीच वाले हिस्से को बॉडी (Body) और उसके बॉडी के नीचे और ऊपर बने लाइन को विक (wick) और शैडो भी कहते है। कैंडीलस भी कई तरह के होते है, कोई छोटे तो कोई काफी बड़े हिते है। और सभी कैंडील का अपना अपना बिहेवीयर होता। की उसके बाद वह प्राइस किस दिशा मे जाने वाला है।
कैंडीलस को अछे से समझने के लिए आप इस तस्वीर को देख सकते है। >>
टेक्निकल अनैलिसिस कैसे करे ? ( How to do Technical Analysis ? )
कैसे करे टेक्निकल अनैलिसिस : टेक्निकल अनैलिसिस को करने के लिए आप को इसके बेसिक्स को समझना होगा। हम मान लेते है की आप को बेसिक्स मालूम है अब क्या करे ? अहले तो आप को अपने उस शेयर के चार्ट को ओपन कर ले जिसे आप खरीदना चाहते है। उसके बाद हमे यह पता करना है की वह शेयर किस दिशा मे बढ़ रहा है।
हाला की मार्केट मे तीन से चार तरह के ट्रेंड ( Trend ) को देखा गया है। जैसे की Up Trend, Down Trend, Side Ways, and Volatile इसे देखने के बाद हम कैंडील को देखते है की वह हमे क्या बात रही है हर कैंडील हमे एक ट्रेंड को बताने की कोशिश करती है जिससे हमे यह पता लगा सके की हमे कब मार्केट मे इंट्री लेनी है और कब मार्केट से एकजिट लेनी है।
इसके साथ साथ आप को उस शेयर के वॉल्यूम को भी देखना होता है की उस शेयर मे कितना वॉल्यूम है। वॉल्यूम का मतलब की उस शेयर मे कितने लोग हर समय उस शेयर को खरीद या बेच रहे है। यदि किसी शेयर मे वॉल्यूम अधिक है तो आप यह कह सकते है की उस शेयर की डिमांड और सप्लाई बहुत अधिक है। वॉल्यूम की वजह से ही शेयर का प्राइस तेजी से गटता और बढ़त है।
टेक्निकल अनैलिसिस इसके लिए आप को ऐसे ब्रोकर की जरूरत पड़ सकती है। जिसका यूजर इन्टरफेस काफी आसान हो, और उसके सारे फंगसन अछे से काम करते हो। ऐसे भी ब्रोकिंग ऐप होते है जिनका ऐप काफी धीमा काम करते है, जब आप को किसी शेयर मे एंट्री लेनी होगी तो उस टाइम एंट्री ना लेके कुछ समय बाद आप को एंट्री देती है तो ऐसे ब्रोकिंग ऐप से बच के रहना होगा।