Share market me candle chart in Hindi..

शेयर मार्केट मे कैंडील चार्ट कैसे काम करती है ?Share market me candle chart in Hindi 

 जब हम किसी शेयर या फिर इंडेक्स का टेक्निकल ऐनालिसेस करते है तो हमे उसके लिए हमे उस शेयर के चार्ट मे बने कैंडील को ऐनालिसेस कर, यह पता लगाना होता है की बीते समय के हिसाब से वह शेयर किस दिशा बढ़ रहा है या बढ़ाने वाला है। कैंडील का ऐनालिसेस कर हम सही समय पर निवेश कर के, अच्छा मुनाफा काम सकते है। 

यदि आप टेक्निकल ऐनालिसिस करते समय चार्ट मे बनाने वाले कैंडील को अछे से नहीं समझते है। तो मार्केट मे होने वाले उत्तर चढ़ाव से आप लाभ नहीं काम सकते है।इस लिए अच्छा मुनाफा कमाने के लिए आप को चार्ट पर बनाने वाले कैंडीलस को समझन बहुत जरूरी है ? 

कैंडीलस को समझना भला इतना जरूजी क्यू है/ टेक्निकल ऐनालिसिस को अछे से करने के लिए आप को सबसे पहले कैंडील को समझना होगा। कैंडीलस के बारे मे आगे आप विस्तार से जानेंगे और इसके बारे मे सीखें गे। 


इस आर्टिकल मे हम चार्ट मे बनने वाले कैंडील को समझेगे।  >>

  1. कैंडील क्या होता है ?
  2. कैंडील चार्ट को अलग अलग टाइम फ्रेम मेक्यू देखा जाता है ?
  3. चार्ट मे कैंडील पैटर्न क्या है ?
  4. कैंडीलस्टिक पैटर्न कैसे काम करते है ?
  5. कैंडीलस  कितने प्रकार के होते है ?

1. कैंडील क्या होता है ? what is candle in chart?

कैंडील :-

शेयर मार्केट में “कैंडल” या “कैंडलस्टिक” एक टेक्निकल ऐनालिसिस का हिस्सा है जो ट्रेडिंग यानी की शेयरो के खरीदने और बेचने के कार्य को और प्राइस मूवमेंट को कैंडील के जरिये दिखाया जाता है। यह एक प्रकार का चार्ट होता है जिसमे समय समय पर कैंडीलस बनते रहते है।

कैंडीलस का उपयोग ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स अपने निवेश किए हुवे, धन से मुनाफा कमाने के लिए करते है। ताकि वे बाजार की दिशा (डाइरेक्शन )और वर्तमान मे चल रहे प्राइस के मूवमेंट का अंदाज लगा सकें। जिससे निवेशकों द्वारा किए गया निवेश पर अच्छा लाभ कमा सके।

कैंडील हमे विशेष कर चार तरह के प्राइस के बदलाव को बताती है। .. 
  1. ओपन प्राइस (Open Price): ओपन प्राइस उसे कहते है, जहाँ से कैंडील के बनाने की शुरू होती है। 
  2. क्लोज प्राइस (Close Price): क्लोज़ प्राइस उसे कहते है, जहाँ कैंडील का बनाना समाप्त हो जाती है। 
  3. हाई प्राइस (High Price): उस समय अवधि के दौरान प्राइस कहा तक की सबसे ऊँची कीमत पहुची है। 
  4. लो प्राइस (Low Price): उस समय अवधि के दौरान प्राइस कहाँ तक सबसे नीची कीमत गिरी है। 

कैंडलस्टिक का शरीर (Body) ओपन और क्लोज हुए प्राइस के बीच का अंतर दिखाता है मतलब उस समय खरीदार ज्यादा है या बिक्री ज्यादा है। जबकि ऊपर और नीचे की लाइनों को “विक्स” या “शैडो” कहा जाता है जो हाई प्राइस और लो प्राइस को दर्शाता हैं। यदि किसी शेयर के खरीदार ज्यादा होते है तो Green Candle बनती है और बिक्री (बेचने वाले ) अधिक हो तो Rad Candle बनती है।

2. कैंडील चार्ट को अलग अलग टाइम फ्रेम मेक्यू देखा जाता है ?

सभी कैंडील हमे यह बताते है की प्रत्येक समय मे कितने खरीदार है मार्केट मे है और कितने विक्रेता। चार्ट को हम अलग अलग टाइम फ्रेम मे कैंडीलस को देख कर यह अनुमान लगा सकते है की एक शेयर किस दिशा मे जाने वाला है। टाइम फ्रेम 1 minute से ले कर month तक होते है, ताकि उस शेयर के चार्ट को अछे से ऐनालिसिस कर सके। 

जिसमे से की सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला टाइम फ्रेम इस प्रकार है।  >> 1 minute के कैंडील , 5 minute के कैंडील , 1 Hour का कैंडील , और अंत मे One Day का कैंडील। हाल की One Month और One Year के भी कैंडील होते है। पर इनमे से ज्यादा तर छोटे टाइम फ्रेम वाले कैंडील ही इस्तेमाल किए जाते है। 

हम आप को बात दे की प्रत्येक समय के कैंडील उस निश्चित समय के अंदर ही केवल एक ही कैंडील बनाएंगे। जैसे की एक मिनट के कैंडील मे एक कैंडील का निर्माण एक मिनट मे ही होगा और एक घंटे मे बनाने वाले कैंडील एक घंटे मे एक ही कैंडील का निर्माण करेंगे। ऐसे ही निश्चित किए हुवे सभी टाइम फ्रेम के कैंडील उसी टाइम मे एक एक कर के बनते जाएंगे। 


3. चार्ट मे कैंडीलस्टिक पैटर्न क्या है ? What is candlestick pattern ?

कैंडील पैटर्न :-

टेक्निकल ऐनालिसिस करते समय आप को चार्ट मे अलग – अलग तरह के कैंडीलस्टिक पैटर्न देखने को मिल जाएंगे। यह कैंडीलस्टिक पैटर्न दो या दो से अधिक कैंडील को मिला के बनते है। और कुछ कैंडीलस्टिक सिंगल भी होते है। जिसकी मदद से आप मार्केट के बिहेवीयर को पहचान सकेंगे। 

कैंडीलस्टिक पैटर्न दो तरह के लाल और हरे रंगों के कैंडील से मिल कर बने होते है। जिन्हे बुलिश कैंडलस्टिक पैटर्न  (Bullish Candlestick pattern) और बेयरिश कैंडलस्टिक पैटर्न  (Bearish Candlestick pattern) कहते है और कुछ कैंडीलस्टिक सिंगल भी होते है, जीने हम रिवर्सल कैंडील कहते है। 

बुलिश कैंडील :- चार्ट मे बुलिश कैंडील हमे यह बताती है, की प्राइस किस समय ऊपर की तरफ जाने वाला है। अक्सर ट्रेडर टेक्निकल ऐनालिसिस के दौरान बुलिश कैंडील को सबसे ज्यादा ध्यान मे रख कर ट्रेड लेते है। 

बेयरिश कैंडील :- बात करे बेरिश कैंडील की तो इस कैंडील की मदद से आप यह अनुमान लगा सकते है की वह शेयर या इंडेक्स का प्राइस किस समय नीचे की तरफ गिर सकता है। 

कैंडीलस्टिक पैटर्न के बारे मे पूरी जानकारी के लिए हमारा यह आर्टिकल जरूर पढे >> 


4. कैंडीलस्टिक पैटर्न कैसे काम करते है ? How do candlestick patterns work?

कैंडीलस्टिक पैटर्न :-

कैंडीलस्टिक पैटर्न चार्ट पर बनाने वाले कुछ ऐसे पैटर्न है जिसकी मदद से हम यह पता लगा सकते है की उस प्राइस का बिहेवीयर क्या है। प्राइस किस डैरेक्शन मे जाने वलल है। कैंडीलस्टिक पैटर्न कई सारे कैंडी के समूह से मिल कर बनते है। उनमे हरे और लाल दोनों प्रकार के कैंडील होते है। 

कुछ कैंडीलस्टिक सिंगले भी होते है, जो की मार्केट के मूवमेंट को बताते है। अधिकतर मार्केट मे दो तरह के ही मूवमेंट को ज्यादा पसंद किया जाता है और वह है। बेरिश मूवमेंट और बुलिश मूवमेंट इन दोनों मूवमेंट की सहायता से निवेशक अपने निवेश पर अच्छा मुनाफा कमा पते है। इसी कारण इन Trend को यानी की Up Trend और Down Trend को बहुत पसंद किया जाता है।  

बेरिश मूवमेंट को पकड़ने के लिए हमे केवल बेरिश कैंडीलस्टिक पैटर्न को देखना होता है। बेरिश कैंडीलस्टिक पैटर्न ज्यादा तर तब बनते है, जब प्राइस ऊपर की तरफ जाती और ऊपर एक बेरिश कैंडीलस्टिक पैटर्न बनाने के बाद वह प्राइस नीचे जाने के लिए तैयार हो जाती है। 

जैसे की :- एक शेयर प्राइस का आप टेक्निकल ऐनालिसेस कर रहे है। और चार्ट मे कैंडील उपट्रेंड मे है, यदि उस मूवमेंट मे ऊपर ^^ दिए गए  बेरिश कैंडीलस्टिक पैटर्न बनते है। तो यह एक तरह का संकेत है की प्राइस अब नीचे जाने वाला है और आप उस शेयर या इंडेक्स को sell कर के मुनाफा कमा सकते है। 

बुलिश मूवमेंट को पकड़ने के लिए हमे केवल बुलिश कैंडीलस्टिक पैटर्न को देखना होता है। बुलिश कैंडीलस्टिक पैटर्न तब बनते है, जब प्राइस नीचे की ओर गिरती है। गिरते हुए प्राइस के बाद बुलिश कैंडीलस्टिक पैटर्न बनाने से वह प्राइस ऊपर की तरफ बढ़ाने लगती है। 

जैसे की :-  जब हम किसी भी शेयर या इंडेक्स के चार्ट मे बनने वाले कैंडील को देखते है। की वह प्राइस चार्ट मे डाउनट्रेंड बनाते जारहा है और फिर एक पॉइंट पर आके बुलिश कैंडीलस्टिक पैटर्न बनाता है। तो वह एक तरह का संकेत होता है की प्राइस का मूवमेंट बुलिश मतलब “ऊपर” की ओर होने वाला है।  


“यदि इन दोनों मे से ऐसा नहीं होता और बेरिश कैंडीलस्टिक पैटर्न और बुलिश कैंडीलस्टिक पैटर्न ना ही नीचे और ना ही ऊपर की ओर बने। या फिर यदि इसके उलट कैंडीलस्टिक पैटर्न बनने लगे तब वह पैटर्न काम नहीं करेगा। आगे हम बात करेंगे की बुलिश कैंडीलस्टिक पैटर्न और बेरिश कैंडीलस्टिक पैटर्न के बारे मे की वह कितने प्रकार के होते है ? और यह कैसे काम करते है। “


कैंडीलस कितने प्रकार के होते है ? How many types of candles in chart ?

हमने आप को आगे बताया है की कैंडील कई प्रकार के होते है। बताए गए कैंडील के नाम से आप जन पाएंगे की उन कैंडीलस के क्या कार्य है। जैसा की आप जानते है की बुलिश कैंडील का काम है मार्केट के शेयर प्राइस को ऊपर की ओर लेजना और बेरिश कैंडील का कार्य है उस शेयर के प्राइस को नीचे की तरफ लेकर आना। 

इनमे से कुछ कैंडील का कार्य यह भी होता है की जब प्राइस किसी एक डाइरेक्सन मे चलते जाता है तो उस डाइरेक्सन बदलने का काम करता है। जैसे की यदि हम किसी भी शेयर प्राइस को किसी एक दिशा मे जाते हुवे देखते है, यानी की या तो वह प्राइस Uptrend मे हो गा या फिर वह Downtrend मे तो यह कैंडील प्राइस के निरंतर चलने वाले दिशा को बदलने का कार्य करती है। 

उदाहरण से समझे :-

मान लीजिए की आप एक शेयर का टेक्निकल ऐनालिसेस कर रहे है। और वह शेयर प्राइस चार्ट मे निरंतर ऊपर की ओर चलती चली जा रही है, ऊपर जाने के बाद वह शेयर एक रिवर्सल कैंडील बना देती है। तो उसके बाद वह शेयर प्राइस अधिकतर नीचे की ओर आने लगती है। कुछ कंडीसन मे ऐसा नहीं होता है, उसके बारे मे हम आप को आगे बताएंगे। 

ऐसे ही यदि कोई भी शेयर प्राइस नीचे की ओर जाती है और उस जगह पर यदि चार्ट मे कोई रिवर्सल कैंडील बनती है तो प्राइस वही से ऊपर की ओर जाना सुरू कर देगी। रिवर्सल कैंडील का यही कार्य होता है की मार्केट जी दिशा मे जा रहा है उसके दिशा को रिवर्सल कैंडील बदलने के कार्य करता है। 


आगे हम कुछ महत्वपुन रिवर्सल कैंडील के बारे मे जानेंगे >>

 

1.डोजी कैंडील ( Doji Candle) :- सबसे पहले हम उस रिवर्सल कैंडील के बारे मे जानेंगे, जो चार्ट मे दिखने वाले प्राइस के दिशा मे बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। यह कैंडील आप को अधिकतर चार्ट मे देखने को मिल जाएगा। जभी किसी भी शेयर मे एक निश्चित समय के अवधि मे विक्रेता और खरीदार दोनों के एक समान प्रतिशत मे हो जाते है तो उस समय चार्ट पर Doji Candle का निर्माण होता है।

आसान शब्दों मे बताए तो जब मार्केट मे Seller और Buyer दोनों ही समान रूप से उस शेयर को खरीदते और बेचते है। तो उस वक्त चार्ट मे Doji Candle बंता है। डोजी कैंडील का चार्ट पर बनने का मतलब यह होता है, कि वह शेयर प्राइस या तो Buyer ( खरीदार ) के माध्यम से ऊपर जाएगा या फिर seller ( विक्रेता ) के माध्यम से वह प्राइस नीचे जाएगा। 


2. स्पिनिंग टॉप कैंडील (Spinning Top Candle) :- बात करे स्पिनिंग टॉप कैंडील की तो यह कैंडील कोई जरूरी नहीं की Red या फिर Green मे दोनों एक साथ चार्ट पर बने तो ही प्राइस रिवर्स हो, इनमे से किसी एक कैंडील को बनाने पर भी आप यह पता होता है की मार्केट इस प्राइस रेंग से रिवर्स हो सकता है। स्पिनिंग टॉप कैंडील मे आप को इसके लंबे Wick ( पुंछ ) और छोटी Body ( शरीर ) देखने को मिल जाएगा। 

Spinning Top Candle कुछ हद तक आप को Doji Candle जैसा देखने मे लग सकता है, पर डोजी कैंडील मे Body नहीं होती है। और स्पिनिंग टॉप कैंडील मे बॉडी होती है। स्पिनिंग टॉप कैंडील भी चार्ट पर तभी बनती है जब मार्केट मे खरीदार और विक्रेता एक समान प्रतिशत मे मौजूद होते है। जिससे प्राइस या तो ऊपर जाने के लिए तैयार होता है, या फिर नीचे जाने को तैयार हो जाता है। 


3. मारूबोजु कैंडील (Marubozu candle) :-  मारूबोजु कैंडील की बात करे तो यह कैंडील चार्ट पर तभी बनते है जब किसि शेयर के खरीदार (Buyer) अधिक हो या फिर उस शेयर के विक्रेता (Seller) अधिक हो तभी उस शेयर के चार्ट पर मारूबोजु कैंडील का निर्माण होता है। देखा जाए तो Green Candle जब लगातार बनते है, जिनमे Wick (पुंछ ) नहीं होती है। उसके बनाने पर प्राइस ऊपर की ओर जाना शुरू कर देती है। 

यदि किसी शेयर के चार्ट मे Red Candle बनती है तो वह मारूबोजु कैंडील यह दर्शाती है की मार्केट मे Seller (विक्रेताओ) की संख्या जादा है। जिसके चलते चार्ट मे दिखने वाले शेयर प्राइस तेजी के साथ नीचे गिरने लगते है। आप को हम बात दे की मारूबोजु कैंडील को पहचानने के लिए केवल इस बात हा ध्यान रखना होगा की इस कैंडील की Body (शरीर) बड़ी होती है और इसकी Wick (पुंछ ) नहीं होती है। 

यदि मारूबोजु कैंडील अलग अलग रंग यानी की लाल और हरे रंग की दो कैंडील एक शेयर चार्ट मे बनती है तो वह कैंडील रिवर्सल का काम करती है। जैसा की हमने आप को रिवर्सल कैंडील के बारे बात रहे है। तो उन रिवर्सल कैंडील मे एक यह भी मारूबोजु कैंडील है जो चार्ट मे चल रहे शेयर प्राइस के दिशा को बदलने का कार्य करता है।


 

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